खगड़िया जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते हुए दिख रही है।खगड़िया के अलौली प्रखंड सहित अन्य प्रखंडों में भी प्रधानमंत्री आवास योजना में उच्च स्तर के अधिकारी से लेकर निचले स्तर के कर्मी शामिल है।प्रधानमंत्री के महत्वकांक्षी योजना में से एक योजना प्रधानमंत्री आवास योजना भी है।इस योजना का लाभ उनलोगों को मिलता है जिनका नाम बीपीएल परिवार की सूची में होता है और बीपीएल परिवार में ऐसे लोग होते हैं जिनकी आमदनी बहुत कम होती है।लेकिन जिले में सरकारी लाभ सभी को चाहिए जिस वजह से आवास योजना में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।इसमें सबसे ज्यादा मालामाल प्रखंड विकास पदाधिकारी,आवास सहायक होता है।मैं ऐसा इसलिए बता रहा हूं कि इन दोनों के मिली-भगत से बीपीएल परिवारों को छोड़कर मोटी रकम के बल पर धनवान और सुखी समृद्ध लोगों को भी आवास योजना का लाभ दिया जाता है।
इसके लिए लाभुकों के सम्बंधित वार्ड सदस्य और सम्बन्धित पंचायत के मुखिया का सहारा लिया जाता है कमीशन वसुली करने के लिए।जिस वजह से जनता मुखिया और वार्ड सदस्य को भी उस भ्रष्टाचार की आग में धकेलने पर मजबुर हो जाती है।लेकिन कोई इसके असली चेहरा उजागर करने में पत्रकार से लेकर वरीय अधिकारी भी पीछे भागते नजर आते हैं।जिलाधिकारी महोदय को प्रखंड विकास पदाधिकारी और आवास सहायक के द्वारा अवैध रूप से वसुली की जाने वाली राशि पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।उसके बावजूद भी अगर किसी पंचायत के मुखिया या फिर वार्ड सदस्य के द्वारा आवास योजना के लाभार्थियों से राशि वसूल की जा रही है तो सम्बन्धित मुखिया और वार्ड सदस्य के ऊपर कारवाई की जाए।क्योंकि ऊपर से भ्रष्टाचार खत्म तो नीचे स्वत: ही खत्म हो जायेगा।तभी इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ निचले स्तर के दबे-कुचले लोगों को मिल पाएगा।अन्यथा इसकी परिकल्पना करना भी समुद्र को सुखाने जैसे प्रतीत होगा।क्योंकि
पीएम आवास योजना में बिचौलियों का आतंक काफी हद तक पहुंच चुका है।यहां तक कि बिना मकान बनाये सभी किस्तों का राशि हस्तांतरित कर दिया जाता है कमीशन लेकर।इतना ही नहीं जिन्हें रहने के लिए आजतक सही से घर नहीं है,ना धुप में सुरक्षित और ना हि वर्षा में सुरक्षित वैसे गरीब लोगों को छोड़कर जो जनवितरण प्रणाली के मालिक हैं और मकान अच्छा खासा पहले से बना हुआ है ऐसे लोगों को आवास योजना का लाभ मिलता है।इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में भ्रष्टाचार कितना हो रहा है।इन भ्रष्टाचार की फिल्म में मुखिया और वार्ड सदस्य सिर्फ और सिर्फ विलेन का किरदार निभाने का काम करता है लेकिन असली नायक प्रखंड विकास पदाधिकारी और आवास सहायक है।क्योंकि मुखिया और वार्ड सदस्य को मुहरा बनाया जाता है।भला बेचारे मुखिया और वार्ड सदस्य करे भी तो क्या करें उन्हें तो अपने पंचायत के सभी लोगों को आवास देकर पुनः वोट बैंक जो बनानी है..!!