*माननीय मुख्यमंत्री द्वारा बाढ़ प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण कर संबंधित जिलाधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिए आवश्यक निर्देश*
आज दिनांक 15.07.21 को माननीय मुख्यमंत्री बिहार श्री नीतीश कुमार ने संभावित बाढ़ के आलोक में बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा,भागलपुर, नवादा नालंदा एवं पटना जिले का हवाई सर्वेक्षण किया और और शाम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित जिलाधिकारियों से समीक्षात्मक बैठक की। इस बैठक में जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष भी शामिल हुए।
माननीय मुख्यमंत्री ने प्रथम चरण में बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा और भागलपुर का हवाई सर्वेक्षण किया और दूसरे चरण में नवादा, नालंदा और पटना का सर्वेक्षण किया। बेगूसराय और खगड़िया में बूढ़ी गंडक के बाढ़-प्रवण क्षेत्रों का निरीक्षण किया, वही खगड़िया मधेपुरा और भागलपुर में कोसी नदी के बाढ़-प्रवण क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में स्पष्ट हुआ कि बूढ़ी गंडक नदी खगड़िया जिला में तटबंधों को स्पर्श करते हुए खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने बदलाघाट नगरपारा तटबंध, बीरबास का भी सर्वेक्षण किया और इस संबंध में आवश्यक निर्देश जिलाधिकारी को दिए।
माननीय मुख्यमंत्री ने बताया कि जुलाई में ज्यादातर जिलों में वर्षापात कम ही हुआ है। सभी जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे खुद तटबंधों को देख लें और आपदा पीड़ितों की मदद करें।
जिलाधिकारी महोदय ने खगड़िया जिले के बारे में समीक्षा के दौरान माननीय मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि यहां जुलाई में 14% कम वर्षापात हुआ है, लेकिन समेकित रूप से जून और जुलाई में सामान्य वर्षापात की तुलना में 47% अधिक वर्षापात हुआ है। समय से इसका रिपोर्ट भेजा जाता है। खगड़िया में बागमती और कोसी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी गंडक स्थिर है और गंगा नदी खतरे के निशान से नीचे है। तटबंधों में सुरक्षात्मक कार्य करा लिए गए हैं और उन्होंने स्वयं इसका निरीक्षण भी किया है। सीपेज की कोई शिकायत नहीं है। 13 जगहों पर कटाव की सूचना मिली है, जिसमें 6 जगह पर बांध का कटाव हुआ था। पांच जगहों पर कटाव की मरम्मती कार्य पूर्ण करा लिया गया है। बीरबास में संघर्षात्मक कार्य चल रहा है, जो कल समाप्त हो जाएगा। चार स्थानों पर बसावट प्रभावित हो रही है, जहां बगल से नदी गुजरती है। खगड़िया में उत्तर मारड़, अलौली में चेराखेरा, चौथम में अग्रहण और सहरौन में कटाव हुआ है। बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के अभियंताओं और अध्यक्ष ने इनका निरीक्षण किया है।
सम्पूर्ति पोर्टल पर आधार का अद्यतनीकरण शत प्रतिशत करा लिया गया है। सामुदायिक रसोई और राहत शिविर चालू करने की अभी आवश्यकता नहीं है। बूढ़ी गंडक का जल बढ़ने से कल बांध के अंदर निवास करने वाले 38 परिवारों के घरों में पानी घुस गया सभी प्रभावितों को सूखा राशन उपलब्ध करा दिया गया है और उन्होंने तटबंध पर शरण ली है। खगड़िया में स्थिति नियंत्रण में है बाढ़ के संबंध में पूरी तैयारी कर ली गई है। नाव, मानव दवा, पशु दवा सभी उपलब्ध हैं। आवश्यकतानुसार सामुदायिक रसोई का संचालन किया जाएगा।
बाढ़-प्रवण पंचायतों और नगर परिषद के क्षेत्र में कोशिश टीकाकरण और टेस्टिंग कार्य द्रुत गति से चल रहा है।
माननीय मुख्यमंत्री ने जानना चाहा कि क्या जिलाधिकारी महोदय ने खुद निरीक्षण किया है। जिलाधिकारी ने बताया कि उन्होंने स्वयं सारे तटबंधों का निरीक्षण किया है। माननीय मुख्यमंत्री ने स्मरण कराया कि खगड़िया जिला सबसे अधिक समय तक बाढ़ से प्रभावित रहता है, अतः भविष्य में भी अलर्ट रहना होगा। नेपाल में वर्षापात का असर बिहार में बहने वाली नदियों पर पड़ता है। 28 जिले बाढ़ से प्रभावित होते हैं। अगले 2 माह तक बाढ़ का खतरा है अतः सितंबर तक चौकन्ना रहना है।
समीक्षा के अंत में अपर मुख्य सचिव आपदा प्रबंधन विभाग बिहार से प्रत्यय अमृत ने सभी जिलाधिकारियों को मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप तैयार रहने का निर्देश दिया किसी भी परिस्थिति में आपदा पीड़ित व्यक्ति को राहत प्रदान करने में विलंब ना हो। सभी आपदा पीड़ितों के कोरोना टेस्टिंग जरूरी है। यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। आवश्यकता पड़ने पर सभी जिला अधिकारी आवंटन या अन्य जरूरतों के लिए उन्हें तुरंत अवगत कराएंगे।
समीक्षा बैठक के उपरांत जिलाधिकारी ने उपस्थित पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि अलौली और चौथम में विशेष रुप से सावधान रहने की जरूरत है। ये प्रखंड बाढ़ से ज्यादा प्रभावित होते हैं और सबसे अधिक सामुदायिक रसोई का संचालन यहीं किया जाता है। किसी प्रकार की सूचना मिले तो तुरंत संज्ञान में लाएं और सभी लोग टीम के रूप में कार्य करें। तटबंधों के साथ साथ उसके अंदर बहने वाली नदी और बसावट पर भी ध्यान देना है।
जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि सूचना का तंत्र विकसित करना होगा सामुदायिक रसोई में सभी लाभुकों का कोरोना टेस्टिंग और टीकाकरण जरूर होना चाहिए। दोनों अनुमंडल पदाधिकारियों को इस संबंध में तत्पर रहना चाहिए। जनप्रतिनिधियों से भी वे बात करते रहे और उन्हें फॉलो अप कॉल करें। लोगों की बात ध्यान से सुनें और उस पर त्वरित कार्रवाई करें। अगर बाढ़ आने पर प्रभावितों को राहत उपलब्ध कराने की त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती है तो बाढ़ पूर्व तैयारियों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
इस समीक्षात्मक बैठक के दौरान अपर समाहर्ता, उप विकास आयुक्त, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता, सिविल सर्जन, जिला कृषि पदाधिकारी जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अभियंता, वरीय उप समाहर्ता सहित सभी संबंधित पदाधिकारी उपस्थित रहे।