बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऑनलाइन डिजिटल के माध्यम से क्षेत्रों के विभिन्न पंचायत प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को प्रखंड कार्यालय परिसर में एकत्रित कर शराबबंदी से जुड़ी हानियां - मौतें के साथ ही साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा आदि जैसी समाजिक कुप्रथाओं को लेकर जागरूक किया। वही इस डिजिटल स्क्रीन पर चल रही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रसारण के जरिए शराब पीने से स्वास्थ्य पर दर्जनों हानिकारकों और बाल विवाह से होने वाली नवविवाहिता पर शारीरिक हानियां के साथ ही साथ दहेज प्रथा के कारण समाजिक स्थिति परिस्थिति आदि कई बिंदुओं पर विस्तार पुर्वक चर्चा किया। जिसको लेकर मौजूद पदाधिकारी बीडीओ अखिलेश कुमार और पंचायत प्रतिनिधियों ने अपनी सहमति प्रदान कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस सम्बोधन की प्रशंसा किया।
शराब के दुष्प्रभावों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट
शराब के दुष्प्रभावों को लेकर पूरा विश्व चिंतित हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की नई रिपोर्ट में शराब के दुष्परिणामों के विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं और मानव समाज को शराब के कुप्रभाव से निजात दिलाने के लिए एक अभियान चलाने पर बल दिया गया हैं। 2016 में शराब के कारण विश्व भर में 30 लाख लोगों की मृत्यु हुई हैं। जो विश्व में कुल मृत्यु का 5.3% हैं। शराब के सेवन के कारण युवाओं में मृत्यु दर बुरे लोगों में की अपेक्षा काफी अधिक है और 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5% लोगों की शराब के कारण होती है। शराब के कारण मृत्यु टीवी, एचआईवी, एड्स, डायबिटीज (मधुमेह) से होने वाले मृत्यु से अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार शराब लगभग दो सौ बीमारियों को बढ़ाती हैं। शराब का सेवन कैंसर, एड्स, हेपेटाइटिस, टीवी, लीवर एवं दिल की बीमारियों मानसिक बीमारी, माता - शिशु से संबंधित बीमारियों के साथ-साथ हिंसक प्रवृत्ति को भी बढ़ाता है और महिलाओं के साथ हिंसा में इसकी अहम भूमिका है। आत्महत्या के कुल मामलों का 18%, आपसी झगड़े का 18%, सड़क दुर्घटनाओं का 27% और मिर्गी के 13% मामले शराब के सेवन के कारण ही होते हैं। वहीं लीवर की गंभीर बीमारी लीवर सिरोसिस के कुल मामलों का 48%, माउथ कैंसर के कुल मामलों का 26%, पैंक्रियाज की गंभीर बीमारी पैंक्रियाज की सूजन के 26%, टीवी के 20%, बड़ी आंत के कैंसर के 11%, ब्रेस्ट कैंसर के 5 प्रतिशत, और हाइपरटेंसिव हार्ट बीमारी के 7% मामले शराब के सेवन के कारण ही होते हैं।
गांधी जी ने भी हमेशा शराब का किया था विरोध, उनका कहना था कि शराब आदमियों से ना सिर्फ उनका पैसा छीन लेती हैं, बल्कि उनकी बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीने वाला इंसान हैवान हो जाता है। इतना ही नहीं यदि मुझे 1 घंटे के लिए भारत का तानाशाह बना दिया जाए तो मैं सबसे पहले शराब की सभी दुकानों को बिना क्षतिपूर्ति के बंद करा दूंगा।
बाल विवाह उन्मूलन एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान
बाल विवाह तथा दहेज प्रथा ऐसी कुरीतियां हैं, जो बच्चियों तथा महिलाओं को ना सिर्फ समान अवसर प्रदान करने की दिशा में बाधक बन रही हैं, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को भी प्रतिकूल ढंग से प्रभावित कर रही है। बाल विवाह लड़कियों के शारीरिक मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक विकास को प्रभावित करता हैं। विवाह के बाद की परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं होती हैं और इसका प्रतिकूल प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। इतना ही नहीं कम उम्र में गर्भधारण लड़कियों की समस्याओं को कई गुना बढ़ा देता हैं। अपनी कम उम्र के कारण वे परिवार के निर्णय में अपना पक्ष नहीं रख पाती हैं और गर्भधारण उनकी मजबूरी हो जाती हैं। परिणाम स्वरूप ऐसी माता है और स्वस्थ और कम विकसित शिशु को जन्म देती है और आगे चलकर यह बच्चे बौनेपन एवं मंदबुद्धि के शिकार हो जाते हैं ।
दहेज प्रथा भी एक ऐसी ही सामाजिक कुरीतियां हैं, जो कानूनन अपराध होने के बावजूद भी समाज में व्याप्त हैं। वर पक्ष इसे लड़के पर बचपन के युवावस्था तक खर्च की गई राशि की वसूली का माध्यम समझता हैं। कन्या पक्ष के लिए दहेज देना मजबूरी हो जाती है और इस क्रम में वे कर्जदार हो जाते हैं । कई परिवारों में लड़के वाले लालच में आकर अधिक दहेज के कारण नवविवाहिता को तंग तबाह करते हैं। जो कई मामलों में आत्महत्या का कारण बनता हैं। अन्यथा दहेज हत्या का मामला बनता है।
दहेज प्रथा की वजह से समाज में लड़कियों को उनके जन्म से ही बोझ समझा जाता हैं। उनके प्रति प्रारंभ से ही भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता हैं। खान-पान से लेकर उनकी शिक्षा तथा स्वास्थ्य तक में कमी की जाती हैं। उन्हें लड़कों की तुलना में बेहतर जीवनशैली नहीं मिल पाती है। बाल विवाह एवं दहेज प्रथा ऐसी समस्याएं हैं, जो हमारे समाज को विकास के पथ पर अग्रसर नहीं होने देती और इसे अंदर ही अंदर खोखला करती हैं। बालिकाओं की शिक्षा की जनसंख्या के स्तरीकरण से बिल्कुल सीधा संबंध हैं। बेटियों को अगर बिना भेदभाव के समान रूप से पालन पोषण हों, तो वह शिक्षित एवं आत्मनिर्भर बनेगी और अपने परिवार तथा अपने में आर्थिक योगदान देगी। वह परिवार के विपरीत परिस्थितियों में सहारा बनेगी अपने बच्चों की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकेगी तथा उन्हें शिक्षित बनाएगी। बाल विवाह और दहेज प्रथा के विरुद्ध वर्तमान में विशिष्ट कानून लागू है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार लड़कों एवं लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र निर्धारित हैं। इससे कम उम्र की शादी कानूनन अपराध है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के अनुसार देश का लेनदेन भी कानूनन अपराध हैं। नशा बाल विवाह दहेज प्रथा की समस्या को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार द्वारा उनके विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है समुदाय एवं सरकार के संगठित प्रयास से ही यह अभियान सफल होगा।