उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अगले वर्ष फरवरी में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 से पूर्व योगी सरकार ने देश-विदेश के निवेशकों के लिए रेड कारपेट बिछा दी है। राज्य सरकार की नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति में निवेशकों को आकर्षित करने का पूरा पैकेज समाहित है। नई औद्योगिक नीति में बड़े निवेशकों को औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए तेजी से जमीन उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। विदेश में स्थापित उद्योगों को वहां से हटाकर उप्र में स्थापित करने पर भी प्रोत्साहन देने की व्यवस्था की गई है। बीमार उद्योगों और निवेश करने वाली इकाइयों का अधिग्रहण करने वाले निवेशकों को भी प्रोत्साहन देने का प्रविधान किया गया है।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उप्र औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 को मंजूरी दी गई। औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने बताया कि नई नीति पांच साल के लिए प्रभावी होगी। अधिक रोजगार देने के साथ ही महिलाओं के ज्यादा रखने और स्थानीय लोगों से कच्चा माल खरीदने वाली इकाइयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी जाएगी।अधिसूचना से दो माह की अवधि में इसके क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अरविन्द कुमार ने बताया कि नई नीति बनाने में विभिन्न राज्यों की औद्योगिक नीति का अध्ययन किया गया। उनमें जो कुछ भी अच्छा था, उसे लेते हुए उत्तर प्रदेश में सबसे बेहतर नीति लागू करने का प्रयास किया गया है।
चार प्रमुख श्रेणियों में बांटे गए निवेशक
वृहद : 50 करोड़ रुपये से अधिक लेकिन 200 करोड़ रुपये से कम
मेगा : 200 करोड़ रुपये या उससे अधिक किंतु 500 करोड़ रुपये से कम
सुपर मेगा : 500 करोड़ रुपये या उससे अधिक लेकिन 3000 करोड़ रुपये से कम
अल्ट्रा मेगा : 3000 करोड़ रुपये या उससे अधिक
विदेश से आने वाली इकाइयों को भी प्रोत्साहन
यदि विदेश में संचालित कोई औद्योगिक इकाई वहां से हटकर उप्र में स्थापित होना चाहती है तो उसके प्लांट और मशीनरी की 40 प्रतिशत लागत को परियोजना लागत में जोड़कर उसके आधार पर प्रोत्साहन दिया जाएगा।
500 करोड़ से अधिक के निवेश पर फास्ट-ट्रैक भूमि आवंटन
नई नीति में सुपर मेगा या उससे अधिक की निवेश परियोजनाओं के लिए फास्ट-ट्रैक भूमि आवंटन का प्रविधान किया गया है। यह आवंटन औद्योगिक विकास प्राधिकरण या विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में किया जाएगा।
लैंड बैंक सृजन को प्रोत्साहन
नीति के तहत निजी उद्योगों की स्थापना के लिए गैर कृषि, बंजर तथा अन्य पात्र श्रेणी की ग्राम समाज भूमि उपलब्ध कराने के भी उपाय किए गए हैं। यदि कोई किसान या व्यक्ति औद्योगिक परियोजना की स्थापना के लिए अपनी जमीन बेचना या लीज पर देना चाहता है तो इसकी जानकारी वह सरकार की ओर से विकसित किए जाने वाले पोर्टल पर दर्ज करा सकेगा। राजस्व विभाग से जांच कराकर सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जमीन विवाद रहित और किसी प्रकार की देयता से मुक्त है।
बीमार उद्योगों का अधिग्रहण करने वाली इकाइयों को भी प्रोत्साहन
बीमार उद्योगों का अधिग्रहण करने वाली इकाइयों को उनकी अधिग्रहण लागत के 20 प्रतिशत हिस्से को परियोजना लागत में जोड़कर प्रोत्साहन दिया जाएगा।
उत्तराधिकारी इकाई को भी मिलेगा प्रोत्साहन
निवेश करने वाली इकाई को खरीदने वाली उत्तराधिकारी इकाई को शेष अवधि के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।
निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी के तीन विकल्प
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार ने बताया कि चारों श्रेणियों के निवेशकों को निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी के अंतर्गत तीन विकल्प दिए जाएंगे जिनमें से किसी एक को चुनना होगा। इनमें पूंजीगत सब्सिडी, शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) टाप-अप सब्सिडी शामिल है।
पूंजीगत सब्सिडी (विकल्प-1)
इसे विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में सबसे अधिक, उससे कम मध्यांचल और पश्चिमांचल (गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद को छोड़कर) में तथा गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद जिले में सबसे कम। पूंजीगत सब्सिडी को प्रोत्साहन-लाभ प्राप्त करने वाली इकाइयों द्वारा उनकी क्षमता के उपयोग से जोड़ा गया है। इसके अलावा निर्यात, वैल्यू चेन और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने वाले रोजगार बूस्टर, निर्यात बूस्टर व ईकोसिस्टम बूस्टर का भी प्रविधान किया गया है। इन बूस्टर्स के साथ इस विकल्प के तहत 42 प्रतिशत तक पूंजीगत सब्सिडी का लाभ उठाया जा सकता है।
शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति (विकल्प-2)
इसकी अधिकतम सीमा को क्षेत्र और निवेश की श्रेणी के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। शुद्ध एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति की वार्षिक सीमा सभी श्रेणियों के लिए 100 प्रतिशत होगी। वहीं, वृहद श्रेणी के लिए प्रतिपूर्ति की अवधि छह वर्ष, मेगा के लिए 12 वर्ष, सुपर मेगा के लिए 14 वर्ष और अल्ट्रा मेगा के लिए 16 वर्ष होगी।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) टाप-अप सब्सिडी (विकल्प-3)
केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत सब्सिडी पर 30 प्रतिशत पीएलआइ टाप-अप सब्सिडी का विकल्प प्रदान किया गया है। इस विकल्प के माध्यम से नई नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार की पीएलआइ योजनाओं के तहत चुने गए निवेशकों को अपने निवेश गंतव्य चुनने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
निजी औद्योगिक पार्कों के विकास को बढ़ावा
निवेश के क्षेत्र के आधार पर 45 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 20 एकड़ या उससे अधिक तथा मध्यांचल व पश्चिमांचल में 30 एकड़ या उससे अधिक के निजी औद्योगिक पार्कों के लिए 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी। 100 एकड़ से अधिक के पार्कों के लिए सब्सिडी सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये किया गया है। निजी औद्योगिक पार्कों में काम करने वाले लोगों के लिए डारमेट्री या हास्टल स्थापित करने के लिए 25 करोड़ रुपये की सीमा के अधीन 25 प्रतिशत सब्सिडी का प्रविधान भी किया गया है। इसके अलावा औद्योगिक पार्क के कुल प्रस्तावित भूमि क्षेत्र के 25 प्रतिशत अधिग्रहण पर लाइसेंस प्रदान किया जाएगा।
अन्य प्रोत्साहन भी
विकल्प आधारित सब्सिडी के अलावा नीति में अन्य प्रोत्साहनों का भी प्रविधान किया गया है।
1- स्टांप ड्यूटी में छूट : बुंदेलखंड व पूर्वांचल में 100 प्रतिशत, मध्यांचल व पश्चिमांचल (गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद को छोड़कर) में 75 प्रतिशत तथा गौतम बुद्ध नगर व गाजियाबाद में 50 प्रतिशत।
2- अनुसंधान से जुड़ी एकल इकाइयों को अनुसंधान एवं विकास और बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) प्राप्त करने के लिए अधिकतम 10 करोड़ की सीमा के अधीन 25 प्रतिशत सब्सिडी।
3- उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 10 करोड़ रुपये प्रति परियोजना की सीमा के अधीन 50 प्रतिशत का वित्तीय अनुदान।
स्वच्छ औद्योगिक वातावरण पर जोर
नई नीति में सर्कुलर अर्थव्यवस्था में निवेश आकर्षित करने व स्वच्छ मैन्यूफैक्चरिंग उपायों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहन दिया गया है। आटो वाहनों, आटो पार्ट्स की श्रेडिंग, जैव ईंधन, बायो डीजल के उत्पादन, प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण, ई-अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी इकाईयों को भी नीति के तहत प्रोत्साहन लाभ दिया जाएगा।