ये नीतीश चच्चा… काहे नाम का अर्थ भी डूबा रहे हैं … हेलिकॉप्टर, बोट और न जाने का का… सबसे खोजवा लिए न शराब… देखिए होली के दिन भी केतना लोग पी के मर रहा है… अब तो फूंक्का के नशा से बाहर निकलिए….
थैंक्यू नीतीश कुमार जी फ़ॉर शराबबंदी
वी आर वेरी लकी because we have नीतीशे कुमार इन बिहार। इनके सुशासन का ही करिश्मा है कि लोगों को शराब पीने पर भी नशा नहीं चढ़ रहा है। वर्ना बिहार में होली का दूसरा नाम हुड़दंग ही हुआ करता था जिसमें हर शराबी समाज को लज्जित करता था। शराबबंदी इज रियली आ वेरी स्ट्रांग डिसीजन। इस निर्णय का ही प्रतिफल है कि होली प्रेम, सौहार्द और भाईचारे का फेस्टिवल बन पाया है। भले सो मेनी फॉल्ट इन दिस शराबबंदी लॉ, बावजूद इसके इस कानून का ही डर है कि लोग चोरी छिपे 1200 में फूल और 600 में हाफ पीकर भी अहसास नहीं होने देते कि उन्होंने शराब पी है। होली तो निमला के मौगी सबके भौजी वाला त्योहार हुआ करता था इसे सामाजिक सौहार्द का त्योहार आपके शराबबंदी ने ही बनाया है। नीतीशे कुमार जी।
खैर, मैं तो ऑलवेज कहा हूँ– अकेलेपन को एन्जॉय करना इज लाइक डेवलपिंग अ टेस्ट फॉर गुड स्कॉच… इट कम्स विद टाइम…… तन्हाई का लुत्फ़ आते आते वक्त लगता है… अच्छी व्हिस्की की पहचान होने में भी। एक कनेक्शन होता है….. लाइक मैजिक… स्कॉच ऑन द रोक्स… एवरग्रीन… क्लास्सिक… तुम्हारी तरह, ईश्क की तरह… इस बार बता ही दो… कितनी आइस क्यूब्स डालते हो अपनी स्कॉच में? जो तुम्हारी आंखें इतनी नशीली रहती है, विच ब्रांडी बिहाइंड योर मदमस्त नजर।
डरो नहीं … हम नीतीशे कुमार को कुछो नहीं बताएंगे …. तुम्हारे वाइन के बारे में … और कि हाउ कैन यू स्पीक इंग्लिश विदआउट ड्रिंक …. दे पीपुल कांट अंडरस्टेंड दिस फॉर्मूला विद हिज शराबबंदी कानून … बिकॉज वहां सॉकॉलड मेनी सुशासन बाबू ।
सो एन्जॉय दी लास्ट पैक ऑफ दिस वोडका …. इन सिटी ऑफ पब … नम्मा बेंगलुरु
ये मत पूछिए की ग्लास में क्या है
प्रियदर्शन शर्मा।