अपने बेटे की राह ताक रहे परिजन,पुलिस ने ताक पर रखीं लापता की आवेदन....

बेगूसराय जिले के बलिया थाना क्षेत्र से एक बड़ी खबर आ रही है जहां एक गरीब माता-पिता अपने लापता 4 वर्षीय पुत्र सत्यम का राह ताक रहें हैं।बताते चलें कि बलिया थानाक्षेत्र के बड़ी बलिया वार्ड-03 निवासी पुनो चौधरी ने 22 अगस्त को बलिया थाना अपने पुत्र के लापता होने का आवेदन दिया गया था बावजूद 15 दिनों तक बलिया पुलिस के द्वारा कोई कारवाई नहीं करना कई सवाल खड़े कर रहे हैं। पीड़ित पिता पेशे से एक गरीब मजदूर हैं जो प्रतिदिन मजदुरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।जिस वजह से ना कोई पैरवी है और ना ही कहीं आने-जाने का खर्च।जिस वजह से पुलिस कुम्भकरणी नींद में सोई हुई है। गौरतलब हो कि बलिया थानाध्यक्ष से इस सम्बन्ध में बातचीत करने के लिए सरकारी नम्बर पर फोन किया गया लेकिन घंटी बजती रही और फोन नहीं उठाया गया। सुनिए.....सुशासन बाबू एक बार इस मासूम बच्चे की चेहरा देखिए।यदि दिल ना पसीजा तो कहिए।हमने बार-बार सुना है,देखें भी हैं बिहार में सुशासन की सरकार है,लेकिन यहां आपके प्रशासन का हाथ क्यों बंध गया।आप जिस बच्चे का तस्वीर देख रहे हैं यह बच्चा विगत 22 अगस्त से लापता है,इसे अपहरण कर लिया गया है।लगभग 14 दिन होने को है,लेकिन पुलिस-प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी कारवाई नहीं कर पा रही है,परिजनों के द्वारा आरोपी का नाम भी बताया जा रहा है फिर भी पुलिस-प्रशासन का हाथ क्यों बंधा हुआ है।कहीं सुशासन महोदय आप के नेता तो इसमें संलिप्त नहीं??,कहीं उसी को बचाने के लिए कानून को ताक पर तो नहीं रख रहे हैं??चलिए मामला जो भी हो पुलिस-प्रशासन को इसका जवाब देना पड़ेगा।यह घटना बेगूसराय के बड़ी बलिया की है।जहां गांव के दबंग के द्वारा बच्चा को शिखर-गुटखा लाने के लिए ₹10 देकर दुकान भेजता है। बच्चा शिखर ले लेता है और जो पैसा बचता है उसका चॉकलेट खरीद लेता है।इस कारण उस दबंग को गुस्सा आ जाता है और इस बच्चा को बुरी तरीका से मारता है,मारने के दौरान मुंह से ब्लड आने लगता है।उसके बाद सरपंच के द्वारा पंचायत किया जाता है,और इलाज के नाम पर ₹700 जुर्माना करवाया जाता है। जिसमें ₹200 सरपंच लेता है और ₹500 बच्चों के इलाज के लिए दे दिया जाता है।उसके बाद गुस्साए आरोपित के द्वारा बच्चे को अपहरण कर लिया जाता है। बच्चे का मां बाप इतना गरीब बेवश है कि यदि 1 दिन काम नहीं करेगा उस दिन उसे भूखा सोना पड़ेगा।इसलिए वह किसी पर दबाव नहीं बना पा रहा है लेकिन सवाल ये है कि मां-बाप है अपना पेट और बच्चे को देखते हुए कितने शासन-प्रशासन का चक्कर लगाए??एक गरीब मां बाप की दर्द को प्रशासन और सरकार नहीं समझ पा रही है।इस तरह से मामला स्पष्ट होने के बाद भी यदि प्रशासन निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाता है।तो काहे कि सुशासन की सरकार??अब देखना दिलचस्प होगा कि बेगूसराय पुलिस अधीक्षक इस मामले में क्या कारवाई करती है फिलहाल तो पीड़ित परिवार अपने मासुम बेटे का राह ताक रही है और हर किसी से अपने बेटे की बरामदगी की गुहार लगा रही है...!!

Suman kumar jha

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